Sunday, 20 March 2016

मन्त्र जाप करते समय माला को जपने के नियम

मन्त्र जाप करते समय माला को जपने के नियम

मंत्र जप का मूल भाव होता है- मनन। जिस देव का मंत्र है उस देव के मनन के लिए सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए है। शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए। साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है। माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है। 

यहां मंत्र जप से संबंधित 15  जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं, जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देव मंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिए बहुत जरूरी माने गए हैं- 

-मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है। इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है। 
-मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है। इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है। प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है। 
-अगर यह वक्त भी साध पाएं तो सोने से पहले का समय भी चुना जा सकता है।
-मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर ही करें। 
-एक बार मंत्र जप शुरु करने के बाद बार-बार स्थान बदलें। एक स्थान नियत कर लें। 
-मंत्र जप में तुलसी, रुद्राक्ष, चंदन या स्फटिक की 108 दानों की माला का उपयोग करें। यह प्रभावकारी मानी गई है। 
-किसी विशेष जप के संकल्प लेने के बाद निरंतर उसी मंत्र का जप करना चाहिए। 
-मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है। सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें।
-मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें। 
१०-मंत्र जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें। जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय। 
११-मंत्रों का उच्चारण करते समय यथासंभव माला दूसरों को दिखाएं। अपने सिर को भी कपड़े से ढंकना चाहिए। 
१२ -माला का घुमाने के लिए अंगूठे और बीच की उंगली का उपयोग करें।माला घुमाते समय माला के सुमेरू यानी सिर को पार नहीं करना चाहिए, जबकि माला पूरी होने पर फिर से अंतिम मनके को पहला मनका काउंट करके आरंभ करनी चाहिए।
१३ जाप करते समय माला को गोमुखी में रखें।                               १४ जाप करते समय माला को जल्दी जल्दी न फेरे बल्कि शांति से और आराम से माला को फेरे।
१५ माला फेरते समय त्रिप्प्ल एस के नियम का प्रयोग करे।( नो स्किप, नो स्लिप और नो साउंड).
विशेष:-
कुछ विशेष कामनों की पूर्ति के लिए विशेष मालाओं से जप करने का भी विधान है। जैसे धन प्राप्ति की इच्छा से मंत्र जप करने के लिए कमलगट्टे की माला, मूंगे की माला, पुत्र पाने की कामना से जप करने पर पुत्रजीव के मनकों की माला और किसी भी तरह की कामना पूर्ति के लिए जप करने पर स्फटिक की माला का उपयोग करें। 

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