Tuesday, 22 March 2016

होली का त्यौहार

होली का त्यौहार

होली का त्यौहार प्रहलाद की भक्ति और होलिका के दहन की कथा से जुडा है दरअसल यह अग्नि, वह अग्नि है, जो सबके लिए सुख और सौभाग्य की सवाहक होकर अमंगल का विनाश करती है
वेदों में अग्नि को देवताओ का मुख कह गया है, क्योंकि इसी के माध्यम से देवता सभी आहुतियो का स्वीकार करते है

होलिका : अमंगल का दहन

प्रतीकरूप में होलिका के दहन की कथा सबके अमंगल के दहन की कथा है ज्योतिष की दृष्टि से इस रात को किसी भी ग्रह की बाधा के शमन के उपाय के लिए श्रेष्ठतम अवसर माना जाता है
परम्परा के रूप में आज भी सामान्यजन होलिका दहन के उपरान्त उसकी आंच में गेहूँ की बालिया सेंक कर घर लाते है इस परम्परा का भावार्थ यही है, कि अब हमारे समस्त अमंगल को दूर करके अग्नि देव हमे और हमारे पुरे परिवार को सुख समृधि दे
भारत एक कृषि प्रधान देश है किसी भी कृषि प्रधान समाज में नई फसल की सिंकी बालियों के घर आने से बढकर सुख और समृधि का दूसरा आह्वान और क्या हो सकता है
कोई भी आम आदमी इस पावन पर्व होली के अवसर पर किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करके होलिका की अग्नि में आहुति देकर अपने अनिष्ट ग्रहों और संकटों का निवारण कर सकता है

आगे विस्तार से बताया गया है, कि किस चीज़ की आहुति देने से कौन से समस्या का निवारण हो सकता है

1 जिन लोगो को अचानक किसी राजप्रकोप का सामना करना पड गया हो, राजकार्य में बाधा, नेत्र से सम्बंधित कोई परेशानी, हृदय रोग का सामना करना पड रहा हो तो उन्हें चाहिये कि वो तेजफल या मुठी भर गेहूँ होलिका की अग्नि में अर्पित करे और अपने संकटों को दूर करने की प्रार्थना करे (पुरुष दाए हाथ की मुठी और स्त्री बाए हाथ की मुठी का प्रयोग करे).
2 व्यापार में घाटा, डिप्रेशन, वृद्ध महिलओं या विधवा औरतों से बिना किसी कारण वाद-विवाद, दोस्तों से तनाव या अनबन हो तो चावल, पोस्त का हरा पौधा, चांदी या फूटी कौड़ी की आहुति दे
3 भाइयो से परेशानी, रक्त सम्बंधित रोग, भूमि से सम्बंधित वाद-विवाद आदि को दूर करने के लिए मल्का मसूर की दाल एक मुठी या नीम की सुखी पत्तियो आदि की आहुति दे
4 बहन, बुआ, बेटी, वाणी, नसों से सम्बंधित रोग, दांतों के समस्या, मिर्गी, व्यापार के समस्या आदि होने पर एक मुठी साबुत मूंग की दाल की आहुति दे
5 पिता, ब्राह्मण, शिक्षक, परिवार के बड़े बुजुर्ग या गुरुओ से अनायास ही वाद-विवाद होने लगे तो एक मुट्ठी चने की दाल या साबुत हल्दी की गाँठ होलिका की अग्नि में अर्पित करे
6 दाम्पत्य सम्बन्धी विवाद, त्वचा सम्बन्धी रोग, गुप्त रोग या यौन सम्बन्धी रोगों के निवारण हेतु एक मुट्ठी जौ या कपास का पौधा या आलू की आहुति दे
7 वाहन या मकान सम्बंधित समस्या, खाँसी के रोग से सम्बंधित समस्या होने पर साबुत बादाम या एक मुट्टी साबुत उड़द की दाल की आहुति दे
8 अचानक आई विपत्तियों के लिए, विद्या में रूकावट या व्यवधान के लिए, ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए, बुनियाद रहित आशंकाओ के लिए या दिमागी बीमारियों से निजात पाने की चाह रखने वालो को जटा वाला सुखा नारियल या सिक्का आदि को होलिका की अग्नि में अर्पित करना चाहिये
9 पुत्र सम्बन्धी परेशानी, रीड की हड्डी के समस्या, जोड़ो का दर्द, श्रवन दोष (सुनने की समस्या) होने पर एक छोटा प्याज़ या हरे निम्बू की आहुति दे
10 होलिका दहन के शाम को अपने घर के मुख्यद्वार पर (चौखट पर) आटे का दो मुखी दिया जलाये और उस पर थोडा सा गुलाल छिड़क दे, इस उपाए से पूरा वर्ष आर्थिक हानी से बचे रहेंगे
11 होलिका दहन के दिन पीपल के नीचे बैठकर 11 बार ‘’श्री राम जय राम जय जय राम’’ का जाप करने से मानसिक समस्या का निवारण होगा

12 किसी भी नव विवाहिता वधु को विवाह के प्रथम वर्ष में अपने ससुराल, ससुराल के गावं या शहर में होलिका दहन होते या होली जलते देखना शुभ नहीं माना गया है इसी कारण विवाह के पश्चात् की प्रथम होली वधु अपने मायके में ही मनाये, यही परम्परा चली आ रही है   

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