Saturday, 26 December 2015

सूर्य बुद्ध योग : बुधादित्य योग

सूर्य बुद्ध योग : बुधादित्य योग

मित्रों सूर्य बुद्ध का योग ज्योतिष में बुधादित्य योग नाम से जाना जाता है| चूँकि ये दोनों अक्सर पास पास ही रहते है इसिलिय अधिकतर कुंडलियों में योग पाया जाता है| सूर्य जो की हमारी आत्मा का कारक है जब उसे बुद्ध रूपी बुद्धि का साथ मिल जाता है तो उसके शुभ फलों में विरधी होती है| इस योग को राजयोगकारक माना गया है| जातक को ये योग काफी विद्वान बनाता है| जातक को सरकार से लाभ मिलने के योग बनते है| बुद्ध जातक की विधाता की कलम के समान सहायता करता है| सूर्य बन्दर तो बुद्ध लंगूर की दुम की तरह उसकी हर समय सहायता करने वाली होती है| जातक की उम्र लम्बी लेकिन मौत अचानक होती है| जातक की शिक्षा उसको फायदा देती है|


इन दोनों के योग वाले जातक की औरत का रंग साफ और नेक दिल | जातक अपनी कमाई पर भरोषा करने वाला होता है| लेकिन इन दोनों के योग में जातक को खुद के व्यापार की जगह नोकरी से ही ज्यादा लाभ मिलता है | बाकी इन दोनों ग्रहों में से जो मजबूत हो उससे जातक को ज्यादा लाभ होता है जैसे सूर्य सरकार तो बुद्ध व्यापार| दोनों में से किसी एक में फायदा|

पहले भाव में दोनों का योग जातक को शुभ फलदेने वाला होता है| जातक को सरकार योग ज्तोतिष से लाभ के योग बनते है|


दुसरे भाव में इनका योग होने पर जातक की जिस्मानी और दिमकई ताकत उम्दा होती है|


तीसरे भाव में इनका योग होने पर जातक का राहू भी शुभ फल देनें वाला हो जाता है बस जातक चला चलन पर काबू रखे|

चोथे पांचवें भाव में दोनों अपना अपना फल देंगे|


छटे भाव में बुद्ध उत्तम तो सूर्य मंदा हो जता है| कनिष्का अनामिका से जितनी ज्यादा छोटी हो उतना ही मंद भाग्य होगा ये जितनी अनामिका के पास की होती जाए भाग्य उतना ही मजबूत होगा|


सप्तम भाव में इनका योग हो और शुक्र कायम हो तो औरत आमिर खानदान की और उत्तम होगी| वरना उल्टा फल होगा| इस भाव में सूर्य बुद्ध के योग वाला जातक मुशीबत के समय मुसीबत का दरिया बन्दर की तरह छलांग लगाकर पार क्र जाने वाला होता है और यदि ऐसा न हो तो जातक का बचपन और बुढ़ापा अच्छा होगा| ऐसे जातक को ज्योतिष और योग का अभ्याश उत्तम फल देता है|लेकिन यदि इसी समय भाव नम्बर नो में बुद्ध का दुसमन ग्रह हो तो बुद्ध सूर्य के शुभ फल को कम करने वाला हो जाएगा|


अस्ठ्म भाव में इनका योग बहन बुआ बेटी को नुक्सान देगा और यदि कोई ग्रह दुसरे भाव में हुआ तो उसके फल में भी खराबी करेगा|


नवम भाव में योग होने पर जातक की जिन्दगी का हाल लसुड़े की गुठली जैसा होगा हालांकि उम्र के २४वे साल से लेकर ३४वे साल तक उत्तम फल मिलेगा और ३४वे साल के बाद जातक की विशेष तररकी. के योग बनते है|


दसम भाव में इनका योग होने पर शनी का ज्यादा शुभ जातक को नही मिलेगाजातक धनवान होगा लेकिन अपने काम खुद बिगाड़ने वाला भी हो सकता है| भाव पहले और दुसरे में सिथत ग्रह को विशेष प्रभाव इन दोनों ग्रहों पर होगा|


ग्यारवें भाव में इनका योग हो और जातक के घर में धर्म को मानने वाला पूजा करने वाला नेक इन्सान हो तो जातक को उत्तम फल मिलता है|


बारवें भाव में दोनों अपना अपना फल देंगे बुद्ध का फल खराब तो सूर्य का उत्तम फल होगा|


मित्रों येलाल किताब पर आधारित आंशिक विवेचना है| पूरा फल आपकी कुंडली में सिथत अन्य ग्रहों की सिथ्ती पर और आपके हाथमेंसूर्य रेखा और मस्तिष्क रेखा की सिथ्ती के साथ आपके घर के वास्तु और आपकी आदतों पर निर्भर करता है| ग्रह के फल और उपाय लाल किताब के अनुसार वर्षफल पर निर्भर करते है| नोट वैदिक का इस लेख में कोई जिक्र नही है| वैदिक से देखने के लिय इस योग के एप्लीकेबल होने के लिय ये दोनों किसी भी पाप भाव के स्वामी न हो ऐसे भाव में इनकी युति न हो साथ ही डिग्री के हिसाब से बली और साथसाथ हो तभी इनका फल मिल सकता है|

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