वास्तु अनुसार फैक्ट्री
1. प्लाट के पूर्व उत्तर में ज्यादा जगह छोडो।
आप किसी भी दिशा का घर या कमर्शिअल भवन बना रहे है उस के पूर्व उत्तर इशान कोण में ज्यादा जगह छोडो और ढलान को उत्तर पूर्व की और रखे।
2. दक्षिण पश्चिम हिस्सा भारी होना चाहिए। किसी भी दिशा के मकान में दक्षिण पश्चिम हिस्सा भारी रक्खें।
3. बंद या बीमार यूनिट कभी न ख़रीदे।
मकान या फैक्ट्री खरीदते समय ध्यान दे की वह व्यक्ति किस कारण से घर बेच रहा है| अगर वो इसे बदल कर बड़े घर में जा रहा है या बड़ी फैक्ट्री लगा रहा है तो ही उस भवन को ख़रीदे , अगर वो ऋण ग्रस्त है या निसंतान है उजाड़ कर भवन बेच कर जा रहा है तो ऐसे व्यक्ति का भवन कितना ही सस्ता क्यूँ न मिलता हो न ख़रीदे।
4. पुराना सामान इस्तेमाल न करे।
कभी भी नया भवन बनाते समय पुराने सामान का इस्तेमाल न करे जैसे ईट दरवाजे खिड़की आदि।
5. अपने मुख्य द्वार गेट के बाहर गन्दा पानी न खडा होने दे।
6. फैक्ट्री का गोदाम दक्षिन पश्चिम में हो और तैयार माल, रा मटेरिअल व् कबाड़ आदि भी यही रखें।
6. फैक्ट्री का गोदाम दक्षिन पश्चिम में हो और तैयार माल, रा मटेरिअल व् कबाड़ आदि भी यही रखें।
7. लेबर क्वार्टर उत्तर पशिम में ठीक है भूल कर भी उन्हें दक्षिण पश्चिम में न बिठाएं नहीं तो लेबर आप के ऊपर हावी रहेगी।
8. फैक्ट्री या घर में कभी भी पूरा का पूरा अंडर ग्राउंड हाल न बनाएं हमेशां
1/3 ही बनाये वो भी उत्तर पूर्व दिशा की और, भूतल का परवेश द्वार उत्तर पूर्व की और से हो।
भूतल भवन ध्यान पूजा हवन आदि कर्यों के लिए सही होता है| भूतल को सफ़ेद रंग से रंगें। दक्षिण पश्चिम में बना हुआ भूतल फैक्ट्री के माल को डम्प करेगा, गलत ब्रांड बनेगे और गृह स्वामी भरी मुसीबतों में फंसेगा, ऐसी जगह पर 2 नंबर के काम ज्यादा होते है।
9. मालिक का कमरा हमेशां दक्षिन पश्चिम में होना चाहिए और उसे पूरा ढक कर रखना चाहिए यानि केबिन नुमा बना लेना चाहिए एक बात ध्यान रहे की मालिक की चेयर / कुर्सी बीम के नीचे नहीं आनी चाहिए।
10. दान या कर्जा देते समय मुँह हमेशां पूर्व या उत्तर की ओर हो।
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