गुरु
चन्द्र योग :
गजकेसरी योग
मित्रों
ज्योतिष में धन दायक योगों में गजकेसरी का एक महत्वपूर्ण स्थान है| जब भी गुरु चन्द्र से केंद्र में हो तब गजकेसरी योग
माना जाता है| चन्द्र गुरु के योग को ऐसा धन माना गया है जो केवल जातक
के ही नही बल्कि उसके सगे सम्बन्धियों के भी काम आता है| इन दोनों के योग को लाल किताब में बरगद के पेड़ की
संज्ञा दी गई है जिस प्रकार बरगद का पेड़ विशाल होता है उसी प्रकार इन दोनों ग्रहों
के पेड़ की शीतल छाया न केवल जातक को बलकि उसके सगे
सम्बन्धियों को भी लाभ देती है| इन दोनों के योग से चाहे जातक में अक्ल कम हो लेकिन
धन की मात्रा बढती जाती है सफर जातक को लाभ देता है और देवीय सहायता भी जातक को
मिलती है|चन्द्र-मन, गुरु-ज्ञान तो जब मन को ज्ञान रूपी प्रकाश मिल जाता है तो जातक को अध्यात्मिक शान्ति मिलती है |
चन्द्र माता और गुरु घर के बड़े बुजुर्ग इन दोनों कासाथ यदि जातक को मिल जाए तो जातक केजीवन में हर प्रकार से लाभ देने वाले सिद्ध होते है|
चन्द्र के दूध में जब गुरु का केसर मिल जाता है तो वो दूध कई गुना ताकतवरऔर लाभ देने वाला बन जाता है| लेकिन इन दोनों केपूर्ण रूपसे शुभ लाभ जातक को प्राप्त हो उसके लिय इन दोनों की सिथ्ती काफी मायने रखती है जैसे की इन दोनों में से कोई मारक भाव का स्वामी न हो और इन दोनों में से कोई एक नीच का न हो क्योंकि ऐसे में इनका ये योग मान्य नही होगा क्योंकि जैसे शरीर में जिगर गुरु होता है औरपानी चन्द्र जब भी हम दूषित पानी पियेंगे धीरे धीरे वो हमारे लीवर में खराबी करेगा उसी प्रकार यदि एक खराब सिथ्ती मेंहुआ तो दुसरे के फल में भी कमी करेगा|
दूसरा उदाहरण जैसे की चन्द्र यानी हमारी माता बहुत अच्छी है लेकिन घर के जो बुजुर्ग है उनको गलत लत लगी हुई है तो वो धन दौलत का भी मिटा देंगे यानी जातक को धन तो मिलेगा नही साथ ही जातक की माता भी दुखी रहेगी |
कहने का अभिप्राय है की दोनों ग्रहों का पूर्णरूप से शुभ फल जातक को प्राप्त होने के लिय दोनों की सिथ्ती अच्छी होनी जरुरी है| साथ ही आपको ये देखना भी जरुरी है की कुंडली के किस भाव में इनदोनों का योग बन रहा है| त्रिक भाव में इन दोनों का योगमान्य नही होता शुभ रूप में| साथ इनदोनों ग्रहों में डिग्री केहिसाब से बलि होना जरुरी है इनमे से कोई मिर्त अवस्था मेंहो तो योग मान्य नही होगा |दोनों जितने ज्यादा बलि होंगे जातक को उतने ही ज्यादा शुभ फल जातक को मिलेंगे|
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