कुम्भ लग्न और व्यवसाय
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी मंगल, आय और धन भाव का स्वामी गुरु और भाग्य भाव का स्वामी शुक्र होता है। भाग्येश शुक्र, मंगल और गुरु से शत्रुवत व्यवहार करता है। किन्तु नवम त्रिकोण का स्वामी शुक्र, लग्नेश शनि का मित्र तथा नैसर्गिक शुभ ग्रह होने के कारण जातक या जातिका के भाग्य को बढ़ाने वाला ही होता है। चूँकि मंगल राज्य पद दिलाने वाला तथा गुरु राज्य कृपा कारक होता है। अतः यदि दोनों केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक को प्रशासनिक सेवा के उच्च पदों पर रहकर राज्य एवं जनता का सुख भोगने के अवसर प्रदान करता है। धन तथा ख्याति दोनों ही प्राप्त होती है।
- यदि मंगल, केंद्र में सूर्य के साथ हो तो जातक सेना, आयुध निर्माण, पुलिस विभाग, मेडिकल विभाग, उच्चतम विद्युत विभाग या इसी के समकक्ष प्रशासनिक पदो पर रहने का अवसर प्राप्त होता है।
- यदि मंगल या दशम भाव पर गुरु का प्रभाव हो तो जातक बौद्धिक क्षमता युक्त प्रशासनिक पद यथा मंत्री सचिव, सलाहकार, वकील, न्यायाधीश, चिकित्सीय शिक्षक, व्याख्याता या अन्य इसीप्रकार के पद या व्यवसाय को अपनाता है। साथ ही शनि का प्रभाव बाधाओं का संकेत देता है।
- यदि अकेले शनि का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो जातक कई प्रकार के व्यवसायों में भाग्य आजमाता है, किन्तु उसे पूर्ण सफलता किसी में भी नहीं मिलती। यदि छोटा-मोटा कोई व्यवसाय या नौकरी आदि मिलती भी है तो उसमे अनेक झंझट एवं कठिनाइयाँ उपस्थित होती है। किन्तु यदि जातक ठेकेदारी, खनिज, मिटटी, पट्रोलियम या अन्य भूमि सम्बन्धी कार्य करे तो अच्छी सफलता मिलती है।
- यदि दशम भाव या दशमेश पर शुक्र, बुध दोनों का प्रभाव हो तो जातक कला के क्षेत्र में भी विशेष प्रगति करता है। फिल्म, फोटोग्राफी, नृत्य, गायन, वादन, संगीत, चित्रकारी या अन्य किसी भी कलात्मक व्यवसाय से धन एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
- अकेले सूर्य यदि दशम भाव या दशमेश को प्रभावित करे तो जातक औषधि या चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति करता है। यदि दोनों ही शक्तिशाली या केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक विशेषज्ञ, चिकित्सक होता है।
- अकेले बुध यदि दशम या एकादश भाव में हो या इनके स्वामियों को युति अथवा दृष्टि से प्रभावित करे तो जातक स्टेशनरी, साहित्य लेखन, प्रकाशन, पुस्तकों का क्रय-विक्रय, आयकर, आयात-निर्यात आदि से लाभ प्राप्त करता है। चन्द्र से प्रभावित होने पर विद्युत के क्षेत्र का चयन करता है।
- अकेला शुक्र यदि दशम भाव या दशमेश को प्रभावित करता है तो जातक जो व्यापार करता है तो उसमे कालांतर में परेशानिया आने लगती है तथा बाद में व्यवसाय परिवर्तन करना पड़ता है।
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी मंगल, आय और धन भाव का स्वामी गुरु और भाग्य भाव का स्वामी शुक्र होता है। भाग्येश शुक्र, मंगल और गुरु से शत्रुवत व्यवहार करता है। किन्तु नवम त्रिकोण का स्वामी शुक्र, लग्नेश शनि का मित्र तथा नैसर्गिक शुभ ग्रह होने के कारण जातक या जातिका के भाग्य को बढ़ाने वाला ही होता है। चूँकि मंगल राज्य पद दिलाने वाला तथा गुरु राज्य कृपा कारक होता है। अतः यदि दोनों केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक को प्रशासनिक सेवा के उच्च पदों पर रहकर राज्य एवं जनता का सुख भोगने के अवसर प्रदान करता है। धन तथा ख्याति दोनों ही प्राप्त होती है।
- यदि मंगल, केंद्र में सूर्य के साथ हो तो जातक सेना, आयुध निर्माण, पुलिस विभाग, मेडिकल विभाग, उच्चतम विद्युत विभाग या इसी के समकक्ष प्रशासनिक पदो पर रहने का अवसर प्राप्त होता है।
- यदि मंगल या दशम भाव पर गुरु का प्रभाव हो तो जातक बौद्धिक क्षमता युक्त प्रशासनिक पद यथा मंत्री सचिव, सलाहकार, वकील, न्यायाधीश, चिकित्सीय शिक्षक, व्याख्याता या अन्य इसीप्रकार के पद या व्यवसाय को अपनाता है। साथ ही शनि का प्रभाव बाधाओं का संकेत देता है।
- यदि अकेले शनि का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो जातक कई प्रकार के व्यवसायों में भाग्य आजमाता है, किन्तु उसे पूर्ण सफलता किसी में भी नहीं मिलती। यदि छोटा-मोटा कोई व्यवसाय या नौकरी आदि मिलती भी है तो उसमे अनेक झंझट एवं कठिनाइयाँ उपस्थित होती है। किन्तु यदि जातक ठेकेदारी, खनिज, मिटटी, पट्रोलियम या अन्य भूमि सम्बन्धी कार्य करे तो अच्छी सफलता मिलती है।
- यदि दशम भाव या दशमेश पर शुक्र, बुध दोनों का प्रभाव हो तो जातक कला के क्षेत्र में भी विशेष प्रगति करता है। फिल्म, फोटोग्राफी, नृत्य, गायन, वादन, संगीत, चित्रकारी या अन्य किसी भी कलात्मक व्यवसाय से धन एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
- अकेले सूर्य यदि दशम भाव या दशमेश को प्रभावित करे तो जातक औषधि या चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति करता है। यदि दोनों ही शक्तिशाली या केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक विशेषज्ञ, चिकित्सक होता है।
- अकेले बुध यदि दशम या एकादश भाव में हो या इनके स्वामियों को युति अथवा दृष्टि से प्रभावित करे तो जातक स्टेशनरी, साहित्य लेखन, प्रकाशन, पुस्तकों का क्रय-विक्रय, आयकर, आयात-निर्यात आदि से लाभ प्राप्त करता है। चन्द्र से प्रभावित होने पर विद्युत के क्षेत्र का चयन करता है।
- अकेला शुक्र यदि दशम भाव या दशमेश को प्रभावित करता है तो जातक जो व्यापार करता है तो उसमे कालांतर में परेशानिया आने लगती है तथा बाद में व्यवसाय परिवर्तन करना पड़ता है।
No comments:
Post a Comment