Saturday, 21 November 2015

ऋण लेने व् देने के मुहूर्त

ऋण लेने व् देने के मुहूर्त

मंगलवार, सक्रांति का दिन, अमावस्या तिथि, पंचमी तिथि, वृद्धि योग, व्यतिपात योग, भद्रा, हस्त नक्षत्र युक्त रविवार, गण्डमूल नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा एवं मूल) के साथ साथ कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा व उत्तरा के तीनों नक्षत्र आदि के अलावा जो ग्रह जातक या जातिका की जन्मपत्रिका के अनुसार नीच का हो, उससे सम्बंधित वार वाले दिन भी ऋण नहीं लेना चाहिए।
बुधवार को ऋण देना नहीं चाहिए लेकिन ऋण ले सकते है  और अपने ऋण की राशि भी वापिस ले सकते है।
यदि किसी जातक या जातिका ने ऋण ले रखा हो तो ऋण के वापिसी हमेशा ही मंगलवार के दिन ही करे या किश्तें आदि मंगलवार को ही दे।  यदि मंगलवार के अलावा किसी अन्य दिन ऋण की वापिसी करनी हो तो बुधवार को छोड़कर अन्य किसी भी दिन मंगल की होरा काल में ऋण की वापिसी की जा सकती है।
चतुर्थी, नवमी व् चौदस तिथि को भी किसी को भी धन उधार नहीं देना चाहिये और न ही इन तिथियों में लक्ष्मी पूजन करना चाहिये। 
जब किसी जातक की पत्रिका के अनुसार राहु ग्रह की दशा या महादशा होती है तो ऋण की वृद्धि होती है।
यदि जातक के जन्मपत्रिका के अनुसार षष्ठेश नीच का हो तो भी जातक को ऋण लेने का आवश्यकता होती है लेकिन सावधान होकर अर्थात अच्छी तरह सोच समझ कर हो ऋण लें, क्योकि जिस जातक का षष्ठेश नीच का होता है उस पर ऋण का बोझ ज्यादा होता है और कईबार तो लाख कोशिशें करने के बाद भी ऋण उतरने का नाम ही नहीं लेता, इसलिए इस परिस्थिति से तंग आकर घर बिक जाता है, जातक डिप्रेशन में जा सकता है, कईबार तो जातक आत्महत्या तक कर लेता है। अस्तु

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