Monday, 2 November 2015

मीन लग्न और व्यवसाय

मीन लग्न और व्यवसाय

इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी गुरु, धन भाव का स्वामी मंगल और आय भाव का स्वामी शनि होता है। यहाँ विशेष ध्यान देने योग्य तीन बातें प्रकट होती है। जिनमें प्रथम यह कि लग्नेश, कार्येश गुरु होने से जातक का आचरण, व्यवहार और कार्य तीनों ही बुद्धिमता पूर्ण, सेवारूप और पवित्र क्षेत्र होता है।  दूसरा ये कि धनेश, भाग्य स्थान का स्वामी भी होता है। जो माँस, मज्जा, रक्त, चीरफाड़, हिंसा आदि का कारक मंगल होता है। तीसरा यह कि आयेश शनि होकर मंगल तथा गुरु दोनों का ही शत्रु ग्रह होता है। अतः यदि
- दशम भाव या दशमेश गुरु पर मंगल की युति या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक एक सफल स्पेशलिस्ट डॉक्टर होता है तथा ऑपरेशन आदि में विशेष योग्यता रखते हुए धन प्राप्त करता है।
- आयेश शनि का प्रभाव हो तो जातक त्यागी, मनीषी, उपदेशक, शिक्षा क्षेत्र, न्यायाधीश, मंत्री या इसीप्रकार बौद्धिक कार्यक्षेत्र को अपना कर जीविकोपार्जन करता है।  जबकि अकेला गुरु जिस भाव में बैठकर दशम भाव को प्रभावित करता है, उस भाव के कारकत्व के अनुसार जातक का व्यवसाय होता है।
- दशम भाव या भावेश गुरु पर मंगल, सूर्य एवं गुरु का सयुंक्त प्रभाव हो तो या ये तीनो ग्रह केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक शिक्षा या अन्य किसी प्रशासनिक क्षेत्र में उच्च अधिकारी के रूप धन प्राप्त करता है। 
- शुक्र का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो जातक खाद्य पदार्थों से सम्बंधित व्यवसाय करता है। यथा दूध डायरी या इससे उत्पन्न खाद्य पदार्थ, होटल, ब्रेड, मसालें, आटा, आचार सम्बन्धी उद्योग आदि।  अथवा शुक्र, शनि का प्रभाव होने पर जातक में दैवी गुण विद्यमान होते है, जिसके कारण ज्योतिषी या चिकित्सक (ऐलोपैथिक नहीं) होता है। 
- राहु-केतु चतुर्थ, दशम भाव या भावेश को प्रभावित करे तो जातक व्यवसाय के बार बार असफल होकर राजनीती में प्रवेश करता है। उसके बाद व्यवसाय में थोड़ी बहुत सफलता मिल जाती है। 
- यदि दसम भाव या दशमेश पर चन्द्र का प्रभाव हो तो जातक कपास, सूत, वस्त्र, दूध, बिजली आदि से सम्बंधित व्यवसाय कर धन प्राप्त करता है। 
- चूँकि धन प्रदाता ग्रह शनि ही है, अतः लोहा, कोयला, रेलवे आदि से सम्बंधित व्यवसाय भी जातक को फलित
 होता है। किन्तु उसमें धन संग्रह न कर जीवन पर्यन्त कार्य विस्तार या संघर्ष करना पड़ता है।  




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