Friday, 9 October 2015

कन्या लग्न और व्यवसाय

कन्या लग्न और व्यवसाय

इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी और लग्न भाव का स्वामी दोनों ही बुध होता है।  इसीप्रकार धन भाव का स्वामी और भाग्य भाव का स्वामी शुक्र होता है।  जबकि आय भाव का स्वामी चन्द्र होता है।  इनमें बुध और शुक्र मित्र ग्रह है अतः यदि जातक या जातिका इन ग्रहो से सम्बंधित व्यवसाय करें तो उसे अधिक लाभ और ख्याति प्राप्त हो सकती है।  प्रायः बुध लग्नेश एवं कार्येश होने तथा द्विचर बौद्धिक कार्यकत्व राशि होने के कारण इस लग्न के जातको को बौद्धिक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करते हुए देखा जा सकता है। अतः यदि 
- लग्नेश बुध, चतुर्थ-पंचम-सप्तम-दशम या एकादश भाव में हो तो जातक या जातिका को लेखन, प्रकाशन, पत्रकारिता, समाचार पत्र, दूरदर्शन, दूरसंचार, कोरियर सेवा, डाक-तार विभाग, ऑपरेटर्स, टेप रिकॉर्ड एवं उनकी कैसेट का व्यवसाय, संगीत के यंत्र, कॉपर वायरिंग के कार्य, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण आदि से सम्बंधित व्यवसायों में सफलता मिलती है। किन्तु यदि बुध लग्न भाव में ही हो और शनि महाराज की लग्न या दशम भाव में युति या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक व्यवसायिक मामलों में निकम्मा होता है।  यहाँ तक की अन्य लोगो के काम में हाथ बटाने पर उस के व्यवसाय को भी चौपट कर देता है।  ऐसा जातक 36 वर्षायु के बाद प्रगति करता है। 
- यदि बुध के साथ सूर्य हो तो जातक को व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ ख्याति भी प्राप्त होती है। क्यूकि सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण करती है। 
- यदि सूर्य, मंगल या गुरु दशम भाव से किसी न किसी प्रकार से दृष्टि या युति सम्बन्ध न रखते हो तो जातक या जातिका को किसी भी प्रकार की सरकारी या गैरसरकारी नौकरी की उम्मीद नहीं रखनी चाहिये।  क्योंकि प्रथम तो उसे नौकरी मिलेगी ही नहीं और यदि मिल भी गई तो वह जल्दी ही छुट भी जाती है। जातक जब तक नौकरी करता है तब तक सुखी नहीं रह पाता।  हाँ राजनीती में कोई पद अवश्य पा सकता है। 
- यदि शनि लग्न, चतुर्थ, अष्टम या दशम भाव में हो तो जातक को बड़ी आयु तक संघर्ष करना पड़ता है।  उसके पश्चात् ही थोड़ी बहुत सफलता मिलती है।  वह भी वकील, सलाहकार, लेखन, शेयर, बैंकिंग आदि में।  लगभग 54-56 वर्षायु के बाद येन केन प्रकारेण वह गाँव, नगर या अपने क्षेत्र का प्रख्यात एवं सम्मानित, संम्पन्न व्यक्ति माना जाता है। 
- यदि दशम या दशमेश पर चन्द्र का प्रभाव हो तो विद्युत उपकरण या कम्प्यूटर्स अथवा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। 
- केन्द्रस्थ या दशम दशमेश पर अकेले गुरु का प्रभाव हो तो जातक शिक्षक, लेक्चरर, प्रोफेसर, कुलपति या इसीप्रकार शिक्षा जगत में ख्याति प्राप्त करता है। परन्तु धन के मामले के साधारण ही बना रहता है। 
- यदि दशम या दशमेश पर शुक्र का प्रभाव हो तो जातक कलात्मक वस्तुओं का व्यापार करता है। जैसे कि फोटोग्राफी, चित्रकार, संगीतकार, खेल-खिलौने या गारमेंट्स या स्पोर्ट्स या कॉस्मेटिक्स आदि का व्यवसाय अपनाता है। 
- यदि दशम भाव या बुध को मंगल प्रभावित करे तो जातक सरकारी स्तरीय नौकरी करता है। बशर्ते शनि का प्रभाव न हो। 
- यदि राहु, केतु चन्द्र या लग्न से केंद्र में हो तथा अन्य एक दो राजयोग भी हो तो जातक राजनीती के माध्यम से समाज सेवा करता है। 
- यदि उपरोक्त ग्रह जिन से सम्बंधित व्यवसाय आदि का जिक्र किया गया है अपनी नीच राशि में हो तो जातक या जातिका को उनसे सम्बंधित व्यापार या नौकरी नहीं करनी चाहिये। 
- उन ग्रहो से सम्बंधित व्यवसाय या नौकरी करनी चाहिए जो उपरोक्त में से सबसे ज्यादा पावरफुल हो और शुभ हो।  











   

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