सिंह लग्न और व्यवसाय
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी शुक्र, भाग्य भाव का स्वामी मंगल और धनेश तथा आयेश दोनों ही भावो का स्वामी बुध होता है। बुध और शुक्र ग्रह मित्र होते है। अतः इनसे सम्बंधित व्यवसाय करने पर जातक या जातिका को खूब धन लाभ प्राप्त होता है। यद्यपि भाग्य साथ कम देता है, अतः परिश्रम अधिक करना पड़ता है। फिर भी यदि बुध, शुक्र केंद्र त्रिकोण में होकर शक्तिशाली हो तो जातक को सदैव ऎसे ही स्थानो पर कार्य व्यवसाय या नौकरी आदि मिलती है। जहाँ खूब धन उपलब्ध होता है। धन के साथ साथ कमाई और ख्याति भी अच्छी प्राप्त होती है। इन सबके अलावा यदि
- दशम भाव या दशमेश शुक्र पर सूर्य का प्रभाव हो तो जातक बड़े और व्यावसायिक पैमाने पर होटल, खाद्य पदार्थ, औषधि, रस, सोना-चांदी के आभूषण, किरयाना सामग्री का आयात-निर्यात से सम्बंधित कार्य कर अच्छा धन कमाता है।
- दशम भाव या दशमेश पर शनि का प्रभाव हो तो जातक लौह, खनिज, रत्न, मोटर या अन्य वाहन से संबंधित उद्योग, फैंसी ड्रेस, वस्त्र उद्योग आदि से सम्बंधित क्षेत्रो में प्रगति कर धन एवं ख्याति प्राप्त करता है। राहु-केतु की अनुकूलता ऐसे जातक को लॉटरी, जुआ, सट्टा, काला धन या शेयर, ब्याज का व्यवसाय, राजनीती आदि से सम्बंधित व्यवसायिक लाभ प्राप्त कराती है। क्योंकि कार्येश शुक्र इनका मित्र ग्रह है।
-बुध, शुक्र यदि केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक साहित्य जगत में धन और ख्याति प्राप्त करता है। यदि दशम भाव या दशमेश पर सूर्य का प्रभाव भी हो तो जातक इसी क्षेत्र में रहते हुए राजकीय सुख, साधन और धन को भी भोगता है। अर्थात तीनो ग्रहों का होना अपेक्षित है। ऐसा जातक सेल टैक्स, क्रय-विक्रय अधिकारी, आर टी ओ, न्यायाधीश, सी एम ओ या इसके समकक्ष प्रशासनिक क्षेत्र में कार्य करता है।
- गुरु यदि लग्न या चतुर्थ भाव में हो तो शिक्षा क्षेत्र में जातक कार्य करता है। ऐसी अवस्था में उसे ख्याति तो खूब मिलती है परन्तु धन सिमित मात्र में प्राप्त होता है। यद्यपि वह संपन्न होता है।
- यदि चन्द्र चतुर्थ या दशम भाव में हो तो जातक स्त्रियों के उपभोग के पदार्थ यथा कॉस्मेटिक्स, अधोवस्त्र, शैम्पू या अन्य औषधि, वस्त्राभूषण, स्विमिंग, कोचिंग या अन्य क्षेत्रो में कार्य कर धन प्राप्त करता है। किन्तु जातक को व्यावसायिक संघर्ष भी करना पड़ता है।
- यदि मंगल, सूर्य और गुरु में से कोई दो ग्रहों का प्रभाव दशम या दशमेश पर हो तो जातक अपने कार्य क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। किन्तु राजकीय नौकरी हो यह आवश्यक नहीं। ऐसा जातक प्रायः भाग्यवान होता है।
-यदि राहु-केतु, चतुर्थ-दशम या द्वितीय-अष्टम या पंचम-एकादश भाव में हो तो जातक को अचानक तथा रुक रुक कर धन प्राप्त होता है। किन्तु उसके व्यवसाय में बार बार उतार चढ़ाव आते है। यदि चतुर्थ दशम भाव में राहु हो तो जातक का व्यवसाय शुक्र से सम्बंधित होता है तथा केतु हो तो व्यवसाय मंगल से सम्बंधित होता है। ऐसा जातक 28-32 वर्षायु के बाद अनिवार्यतः राजनीती में भाग्य आजमाता है तथा सफल होता है।
- इस लग्न के जन्मपत्रिका में सूर्य जो कि स्वयं चराचर जगत का नियंता, प्रकाशक और पालक होता है। यदि केंद्र, त्रिकोण, उच्च, स्व या मित्र राशियों में से कही भी हो तो जातक का आत्मबल बड़ा चढ़ा रहता है, तथा ऐसा जातक प्रत्येक कार्य, व्यवसाय या नौकरी में जल्दी ही सफल होता है। बशर्ते वह पापी ग्रहों के साथ या न्यूनतम (1 से 4-5) या अधिकतम (25-29) अंशो में न हो।
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी शुक्र, भाग्य भाव का स्वामी मंगल और धनेश तथा आयेश दोनों ही भावो का स्वामी बुध होता है। बुध और शुक्र ग्रह मित्र होते है। अतः इनसे सम्बंधित व्यवसाय करने पर जातक या जातिका को खूब धन लाभ प्राप्त होता है। यद्यपि भाग्य साथ कम देता है, अतः परिश्रम अधिक करना पड़ता है। फिर भी यदि बुध, शुक्र केंद्र त्रिकोण में होकर शक्तिशाली हो तो जातक को सदैव ऎसे ही स्थानो पर कार्य व्यवसाय या नौकरी आदि मिलती है। जहाँ खूब धन उपलब्ध होता है। धन के साथ साथ कमाई और ख्याति भी अच्छी प्राप्त होती है। इन सबके अलावा यदि
- दशम भाव या दशमेश शुक्र पर सूर्य का प्रभाव हो तो जातक बड़े और व्यावसायिक पैमाने पर होटल, खाद्य पदार्थ, औषधि, रस, सोना-चांदी के आभूषण, किरयाना सामग्री का आयात-निर्यात से सम्बंधित कार्य कर अच्छा धन कमाता है।
- दशम भाव या दशमेश पर शनि का प्रभाव हो तो जातक लौह, खनिज, रत्न, मोटर या अन्य वाहन से संबंधित उद्योग, फैंसी ड्रेस, वस्त्र उद्योग आदि से सम्बंधित क्षेत्रो में प्रगति कर धन एवं ख्याति प्राप्त करता है। राहु-केतु की अनुकूलता ऐसे जातक को लॉटरी, जुआ, सट्टा, काला धन या शेयर, ब्याज का व्यवसाय, राजनीती आदि से सम्बंधित व्यवसायिक लाभ प्राप्त कराती है। क्योंकि कार्येश शुक्र इनका मित्र ग्रह है।
-बुध, शुक्र यदि केंद्र त्रिकोण में हो तो जातक साहित्य जगत में धन और ख्याति प्राप्त करता है। यदि दशम भाव या दशमेश पर सूर्य का प्रभाव भी हो तो जातक इसी क्षेत्र में रहते हुए राजकीय सुख, साधन और धन को भी भोगता है। अर्थात तीनो ग्रहों का होना अपेक्षित है। ऐसा जातक सेल टैक्स, क्रय-विक्रय अधिकारी, आर टी ओ, न्यायाधीश, सी एम ओ या इसके समकक्ष प्रशासनिक क्षेत्र में कार्य करता है।
- गुरु यदि लग्न या चतुर्थ भाव में हो तो शिक्षा क्षेत्र में जातक कार्य करता है। ऐसी अवस्था में उसे ख्याति तो खूब मिलती है परन्तु धन सिमित मात्र में प्राप्त होता है। यद्यपि वह संपन्न होता है।
- यदि चन्द्र चतुर्थ या दशम भाव में हो तो जातक स्त्रियों के उपभोग के पदार्थ यथा कॉस्मेटिक्स, अधोवस्त्र, शैम्पू या अन्य औषधि, वस्त्राभूषण, स्विमिंग, कोचिंग या अन्य क्षेत्रो में कार्य कर धन प्राप्त करता है। किन्तु जातक को व्यावसायिक संघर्ष भी करना पड़ता है।
- यदि मंगल, सूर्य और गुरु में से कोई दो ग्रहों का प्रभाव दशम या दशमेश पर हो तो जातक अपने कार्य क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। किन्तु राजकीय नौकरी हो यह आवश्यक नहीं। ऐसा जातक प्रायः भाग्यवान होता है।
-यदि राहु-केतु, चतुर्थ-दशम या द्वितीय-अष्टम या पंचम-एकादश भाव में हो तो जातक को अचानक तथा रुक रुक कर धन प्राप्त होता है। किन्तु उसके व्यवसाय में बार बार उतार चढ़ाव आते है। यदि चतुर्थ दशम भाव में राहु हो तो जातक का व्यवसाय शुक्र से सम्बंधित होता है तथा केतु हो तो व्यवसाय मंगल से सम्बंधित होता है। ऐसा जातक 28-32 वर्षायु के बाद अनिवार्यतः राजनीती में भाग्य आजमाता है तथा सफल होता है।
- इस लग्न के जन्मपत्रिका में सूर्य जो कि स्वयं चराचर जगत का नियंता, प्रकाशक और पालक होता है। यदि केंद्र, त्रिकोण, उच्च, स्व या मित्र राशियों में से कही भी हो तो जातक का आत्मबल बड़ा चढ़ा रहता है, तथा ऐसा जातक प्रत्येक कार्य, व्यवसाय या नौकरी में जल्दी ही सफल होता है। बशर्ते वह पापी ग्रहों के साथ या न्यूनतम (1 से 4-5) या अधिकतम (25-29) अंशो में न हो।
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