दीपावली पर्व पर, कुछ विशेष
१ सभी जानते है की देवी की उत्पत्ति समुंद्र मंथन के दौरान समुन्द्र से हुई थी इस प्रकार समुन्द्र देवता, देवी लक्ष्मी के पिता माने जाते है। और समुन्द्र से ही उत्पन्न कुबेर पात्र, गोमती चक्र, दक्षिणवर्ती शंख, मोती शंख आदि देवी लक्ष्मी के भाई-बंधू है। यदि ये आपके घर में उपस्थित हो तो देवी लक्ष्मी अपने आप ही उस और खींची चली आती है और स्थाई निवास करती है। अतः दीपावली पूजन में इन वस्तुओं में से जो भी संभव हो उसे अपने घर में अवश्य रखें, फलस्वरूप देवी लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
२ दीपावली की रात पूजन में श्री गणेश पूजन, कलश पूजन(वरुण देव), ॐ पूजन(शिव जी), नवग्रह पूजन, षोडशमातृका पूजन, लक्ष्मी पूजन, श्री विष्णु पूजन, शालिग्राम पूजन और इन सबके अलावा आपके घर में यदि कोई यंत्र आदि स्थापित है तो उनका पूजन करे परन्तु ध्यान रहे की आरती न करे क्योंकि आरती करने का अर्थ है पूजन समाप्त, जो की दीपावली रात को नहीं करना चाहिये। बल्कि श्री सूक्तं, लक्ष्मी सूक्तं, परुष सूक्तं, का पाठ करे। लक्ष्मी कवच, लक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मी सहस्त्रनाम, श्री विष्णु सहस्त्रनाम आदी का पाठ करे। पूरी रात देवी लक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए।
३ लक्ष्मी पूजन करते समय ११ कौड़ी गंगाजल से धो कर लक्ष्मी जी को अर्पित करें और उन पर हल्दी, कुमकुम लगाए। अगले दिन प्रातः इन्हे लाल कपडे में बांधकर अपनी तिजोरी या व्यापार स्थल के गल्ले में रख दे, इससे आय में वृद्धि होगी।
४ हल्दी से रंगे हुए कपडे के एक टुकड़े में एक मुठी नागकेसर, एक मुठी गेहूँ, हल्दी की एक साबुत गाँठ, ताम्बे का एक सिक्का, एक गाँठ साबुत नमक और ताम्बे के छोटी सी चरण पादुकाऐ बांधकर अपने घर की रसोई में टांग दे, इससे देवी लक्ष्मी के साथ साथ देवी अन्नपूर्णा की भी कृपा प्राप्त होगी। रसोई के भण्डार में कभी कमी न होगी और पारिवारिक कलेश भी समाप्त होगा।
५ दीपावली अपने आप में अकेला त्यौहार नहीं है क्योकि ये कुल पांच त्यौहारों का संगम है जैसे कि : धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और यम द्वितीय या भाई दूज आदि। इन पांचो दिवस पर सांय संध्या के समय घर में कम से कम पांच दीपक(चार छोटे और एक बड़ा) सर्सो के तेल के अवश्य जलाए। ध्यान रहे की दीपक को सीधा पृथ्वी पर न रखें अर्थात इसके नीचे अासन अवश्य दे। आसन के रूप में आप थोड़ी सी खील या चावल का प्रयोग कर सकते है।
६ नरक चतुर्दशी को सांय संध्या के समय घर की पश्चिम दिशा की और खुले स्थान पर या जहाँ पर लोग फ्लैट्स आदी में रहते है वह घर की छत पर पश्चिम दिशा की और १४ दीपक अपने पूर्वजों के नाम से अवश्य जलाये। इससे आपको व् आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य को पूर्वजो का आशीवाद प्राप्त होगा और घर में खुशहाली और समृद्धि आयगी।
७ दीपावली के रात को किसी गरीब सुहागन को श्रृंगार की सामग्री दान दे इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
८ दीपावली के दिन एक नई झाड़ू खरीद लाये और पूजा से पहले, पूजा के स्थान को उससे साफ़ करे और रख दे।
अगले दिन से उस झाड़ू का प्रयोग करना शुरु कर दे। इससे दरिद्रता दूर जाएगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।
९ दीपावली की रात, देवी लक्ष्मी को भोग घर की बनाई खीर से लगाए, बाहर की बनी मिठाईयो से नहीं।
१० दीपावली के दिन घर के मुख्यद्वार पर ऊपर के और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और दरवाजे की बाई और शुभ व् दाई और लाभ लिखे।
११ दीपावली के दिन मुख्यद्वार पर आम के पत्तो की बंदनवार लगाऐ। पांच पत्ते बरगद और तीन पत्ते अशोक वृक्ष के लें, बरगद के पत्तो पर हल्दी मिश्रित दही से स्वास्तिक चिन्ह बनाये और अशोक वृक्ष के पत्तो पर श्रीं लिखें। पूजा में इन पत्तो को रखें और पूजा के बाद धन रखने के स्थान पर रख दे।
१२ पूजा में देवी लक्ष्मी के चरणो में एक लाल और एक सफेद हकीक भी रखें क्योकि इन दोनों के योग से यानि चन्द्र और मंगल के योग से लक्ष्मी योग निर्माण होता है। पूजन के बाद इन दोनों को अपने पर्स में रख लें।
१ सभी जानते है की देवी की उत्पत्ति समुंद्र मंथन के दौरान समुन्द्र से हुई थी इस प्रकार समुन्द्र देवता, देवी लक्ष्मी के पिता माने जाते है। और समुन्द्र से ही उत्पन्न कुबेर पात्र, गोमती चक्र, दक्षिणवर्ती शंख, मोती शंख आदि देवी लक्ष्मी के भाई-बंधू है। यदि ये आपके घर में उपस्थित हो तो देवी लक्ष्मी अपने आप ही उस और खींची चली आती है और स्थाई निवास करती है। अतः दीपावली पूजन में इन वस्तुओं में से जो भी संभव हो उसे अपने घर में अवश्य रखें, फलस्वरूप देवी लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
२ दीपावली की रात पूजन में श्री गणेश पूजन, कलश पूजन(वरुण देव), ॐ पूजन(शिव जी), नवग्रह पूजन, षोडशमातृका पूजन, लक्ष्मी पूजन, श्री विष्णु पूजन, शालिग्राम पूजन और इन सबके अलावा आपके घर में यदि कोई यंत्र आदि स्थापित है तो उनका पूजन करे परन्तु ध्यान रहे की आरती न करे क्योंकि आरती करने का अर्थ है पूजन समाप्त, जो की दीपावली रात को नहीं करना चाहिये। बल्कि श्री सूक्तं, लक्ष्मी सूक्तं, परुष सूक्तं, का पाठ करे। लक्ष्मी कवच, लक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मी सहस्त्रनाम, श्री विष्णु सहस्त्रनाम आदी का पाठ करे। पूरी रात देवी लक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए।
३ लक्ष्मी पूजन करते समय ११ कौड़ी गंगाजल से धो कर लक्ष्मी जी को अर्पित करें और उन पर हल्दी, कुमकुम लगाए। अगले दिन प्रातः इन्हे लाल कपडे में बांधकर अपनी तिजोरी या व्यापार स्थल के गल्ले में रख दे, इससे आय में वृद्धि होगी।
४ हल्दी से रंगे हुए कपडे के एक टुकड़े में एक मुठी नागकेसर, एक मुठी गेहूँ, हल्दी की एक साबुत गाँठ, ताम्बे का एक सिक्का, एक गाँठ साबुत नमक और ताम्बे के छोटी सी चरण पादुकाऐ बांधकर अपने घर की रसोई में टांग दे, इससे देवी लक्ष्मी के साथ साथ देवी अन्नपूर्णा की भी कृपा प्राप्त होगी। रसोई के भण्डार में कभी कमी न होगी और पारिवारिक कलेश भी समाप्त होगा।
५ दीपावली अपने आप में अकेला त्यौहार नहीं है क्योकि ये कुल पांच त्यौहारों का संगम है जैसे कि : धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और यम द्वितीय या भाई दूज आदि। इन पांचो दिवस पर सांय संध्या के समय घर में कम से कम पांच दीपक(चार छोटे और एक बड़ा) सर्सो के तेल के अवश्य जलाए। ध्यान रहे की दीपक को सीधा पृथ्वी पर न रखें अर्थात इसके नीचे अासन अवश्य दे। आसन के रूप में आप थोड़ी सी खील या चावल का प्रयोग कर सकते है।
६ नरक चतुर्दशी को सांय संध्या के समय घर की पश्चिम दिशा की और खुले स्थान पर या जहाँ पर लोग फ्लैट्स आदी में रहते है वह घर की छत पर पश्चिम दिशा की और १४ दीपक अपने पूर्वजों के नाम से अवश्य जलाये। इससे आपको व् आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य को पूर्वजो का आशीवाद प्राप्त होगा और घर में खुशहाली और समृद्धि आयगी।
७ दीपावली के रात को किसी गरीब सुहागन को श्रृंगार की सामग्री दान दे इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
८ दीपावली के दिन एक नई झाड़ू खरीद लाये और पूजा से पहले, पूजा के स्थान को उससे साफ़ करे और रख दे।
अगले दिन से उस झाड़ू का प्रयोग करना शुरु कर दे। इससे दरिद्रता दूर जाएगी और लक्ष्मी का आगमन होगा।
९ दीपावली की रात, देवी लक्ष्मी को भोग घर की बनाई खीर से लगाए, बाहर की बनी मिठाईयो से नहीं।
१० दीपावली के दिन घर के मुख्यद्वार पर ऊपर के और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और दरवाजे की बाई और शुभ व् दाई और लाभ लिखे।
११ दीपावली के दिन मुख्यद्वार पर आम के पत्तो की बंदनवार लगाऐ। पांच पत्ते बरगद और तीन पत्ते अशोक वृक्ष के लें, बरगद के पत्तो पर हल्दी मिश्रित दही से स्वास्तिक चिन्ह बनाये और अशोक वृक्ष के पत्तो पर श्रीं लिखें। पूजा में इन पत्तो को रखें और पूजा के बाद धन रखने के स्थान पर रख दे।
१२ पूजा में देवी लक्ष्मी के चरणो में एक लाल और एक सफेद हकीक भी रखें क्योकि इन दोनों के योग से यानि चन्द्र और मंगल के योग से लक्ष्मी योग निर्माण होता है। पूजन के बाद इन दोनों को अपने पर्स में रख लें।
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