मेष लग्न और व्यवसाय
इस लग्न की जन्मपत्रिका में दशम भाव अर्थात् व्यवसाय स्थान का स्वामी शनि, धन भाव का स्वामी शुक्र और आय भाव का स्वामी भी शनि ग्रह ही है। चूँकि धनेश, कार्येश और आयेश तीनों ही मित्र ग्रह होने से यदि जातक या जातिका शुक्र, शनि से सम्बंधित व्यवसाय करे तो उसे संपन्न होने और निर्विघ्न व्यवसाय से कौन रोक सकता है। अतः जातक या जातिका को चाहिये कि वह काले पदार्थ या श्वेत पदार्थ का व्यवसाय अर्थात कोयला, लोहा, रेलवे, मजदूरों से करवाये जाने वाले कार्य, ठेकेदारी, प्रॉपर्टी ब्रोकर्स, जीवन बीमा, मिस्त्री, ज्योतिष, पुजारी, प्रवचनकर्ता, वनकर्मचारी, आदि कार्यो से धन प्राप्त कर सकता है। प्रायः जातक या जातिका के व्यवसाय निम्नानुसार होता है।
- यदि लगनस्थ गुरु हो तो जातक या जातिका शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है। यथा शिक्षक या लेक्चरर, प्रोफेसर, कोचिंग संचालक, शिक्षा सामग्री का क्रय-विक्रय आदि। इस व्यवसाय में जातक या जातिका की आय सीमित होती है।
- यदि तृतीय, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में सूर्य, गुरु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका निश्चित रूप से प्रथम श्रेणी का राजकीय अधिकारी या सेना या अन्य प्रशासनिक क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। जबकि अकेले गुरु का प्रभाव हो तो यह व्यवसाय या अधिकार क्षेत्र, शिक्षा जगत या मंत्री, सचिव या सलाहकार, वकील आदि स्तर का होता है। जबकि अकेले सूर्य का प्रभाव दशम भाव पर हो तो जातक खेल जगत में प्रगति कर धन और यश दोनों प्राप्त करता है।
- यदि सूर्य पंचम भाव में ही हो तो जातक या जातिका आत्म केंद्रित मनोरंजन या दवाई, औषधि अथवा मेडिकल, चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता पाता है। साथ में यदि पंचम भाव पर गुरु का प्रभाव भी हो तो विख्यात होता है।
- यदि दशम भाव में शुक्र हो तो जातक को कॉस्मेटिक, फैन्सी ड्रेस, रेडीमेड वस्त्र, वस्त्राभूषण, फोटोग्राफी, सिनेमा या अन्य कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- यदि दशम भाव पर राहु अथवा केतु का प्रभाव हो, शनि लग्न, सप्तम, अष्टम या दशम में हो तो जातक या जातिका येन-केन प्रकरण राजनीती के क्षेत्र में कठिन संघर्ष कर सफलता प्राप्त करने का प्रयास करता है तथा बड़ी आयु में सफल भी होता है।
- यदि चतुर्थ या दशम भाव में चन्द्र हो तो जातक या जातिका को विद्युत सामग्री, जीवन बीमा, कोरियर सेवा या अन्य संचार क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
इस लग्न की जन्मपत्रिका में दशम भाव अर्थात् व्यवसाय स्थान का स्वामी शनि, धन भाव का स्वामी शुक्र और आय भाव का स्वामी भी शनि ग्रह ही है। चूँकि धनेश, कार्येश और आयेश तीनों ही मित्र ग्रह होने से यदि जातक या जातिका शुक्र, शनि से सम्बंधित व्यवसाय करे तो उसे संपन्न होने और निर्विघ्न व्यवसाय से कौन रोक सकता है। अतः जातक या जातिका को चाहिये कि वह काले पदार्थ या श्वेत पदार्थ का व्यवसाय अर्थात कोयला, लोहा, रेलवे, मजदूरों से करवाये जाने वाले कार्य, ठेकेदारी, प्रॉपर्टी ब्रोकर्स, जीवन बीमा, मिस्त्री, ज्योतिष, पुजारी, प्रवचनकर्ता, वनकर्मचारी, आदि कार्यो से धन प्राप्त कर सकता है। प्रायः जातक या जातिका के व्यवसाय निम्नानुसार होता है।
- यदि लगनस्थ गुरु हो तो जातक या जातिका शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करता है। यथा शिक्षक या लेक्चरर, प्रोफेसर, कोचिंग संचालक, शिक्षा सामग्री का क्रय-विक्रय आदि। इस व्यवसाय में जातक या जातिका की आय सीमित होती है।
- यदि तृतीय, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में सूर्य, गुरु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका निश्चित रूप से प्रथम श्रेणी का राजकीय अधिकारी या सेना या अन्य प्रशासनिक क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। जबकि अकेले गुरु का प्रभाव हो तो यह व्यवसाय या अधिकार क्षेत्र, शिक्षा जगत या मंत्री, सचिव या सलाहकार, वकील आदि स्तर का होता है। जबकि अकेले सूर्य का प्रभाव दशम भाव पर हो तो जातक खेल जगत में प्रगति कर धन और यश दोनों प्राप्त करता है।
- यदि सूर्य पंचम भाव में ही हो तो जातक या जातिका आत्म केंद्रित मनोरंजन या दवाई, औषधि अथवा मेडिकल, चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता पाता है। साथ में यदि पंचम भाव पर गुरु का प्रभाव भी हो तो विख्यात होता है।
- यदि दशम भाव में शुक्र हो तो जातक को कॉस्मेटिक, फैन्सी ड्रेस, रेडीमेड वस्त्र, वस्त्राभूषण, फोटोग्राफी, सिनेमा या अन्य कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
- यदि दशम भाव पर राहु अथवा केतु का प्रभाव हो, शनि लग्न, सप्तम, अष्टम या दशम में हो तो जातक या जातिका येन-केन प्रकरण राजनीती के क्षेत्र में कठिन संघर्ष कर सफलता प्राप्त करने का प्रयास करता है तथा बड़ी आयु में सफल भी होता है।
- यदि चतुर्थ या दशम भाव में चन्द्र हो तो जातक या जातिका को विद्युत सामग्री, जीवन बीमा, कोरियर सेवा या अन्य संचार क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
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