Monday, 28 September 2015

मिथुन लग्न और व्यवसाय

मिथुन लग्न और व्यवसाय
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी गुरु, धन भाव का स्वामी चन्द्र और आय भाव का स्वामी मंगल होता है। भाग्येश शनि इन तीनो ही ग्रहो से शत्रुता रखता है। अतः जातक या जातिका चाहे जो भी व्यवसाय या नौकरी करे शनि महाराज साथ नही देते। इसके विपरीत यदि जातक या जातिका शनि के मित्र ग्रहों (बुध,शुक्र) से सम्बंधित व्यापार या नौकरी करे तो शनि उसे जल्दी ही चमका देता है। इस पत्रिका में बुध व्यापार का कारक होकर लग्नेश होता है। साथ ही मिथुन राशि द्विस्वभाव राशि होती है।  इन सब कारणों से यही तथ्य उभरकर सामने आता है, कि ऐसा व्यक्ति ना टी कुशलता से नौकरी में सफल होता है और ना ही व्यापार (बुध, शनि के व्यवसाय को छोड़कर) आदि में।  यद्द्यपि व्यक्ति को व्यावसायिक संघर्ष करने पड़ते है।  इसलिए इस लग्न के जातक या जातिका को बहुआयामी व्यक्तित्व का स्वामी कहा जाता है। इन सबके अलावा जातक या जातिका लेखन, प्रकाशन, पत्रकारिता, दूरसंचार, दूरदर्शन, वी. सी. आर., रेडियो, घड़ी, इलेक्ट्रॉनिक्स खिलौने और अन्य सामग्री, एस. टी. डी., समाचार पत्र, शेयर दलाली, आयात-निर्यात आदि क्षेत्रो में सफल होता है। इन सबके बाद भी यदि 
- नवम, दशम या एकादश भाव में शनि हो या शनि का प्रभाव हो तो जातक या जातिका कोर्ट, कचेहरी, कानूनी क्षेत्र, सलाहकार, वकील, ज्योतिषी, गणितज्ञ, भाषानुवादक एवं राजनीती आदि में सफ़लता प्राप्त करता है। 
- यदि शुक्र का सम्बन्ध दशम भाव से हो तो जातक या जातिका महान कलाकार, फिल्मकार, चित्रकार, संगीतकार, नेता या अभिनेता, ज्योतिषी के रूप में पद, ख्याति, धन और यश प्राप्त करता है। जब भोग, विलास, कला आदि का नैसर्गिक कारक ग्रह शुक्र अपनी उच्च राशि दशम भाव में हो तो निस्संदेह जातक या जातिका का कार्य या व्यवसाय ऐसा होगा जहाँ इस जगत के अधिकाँश सुख साधन सहज ही उपलब्ध होंगे। 
- अकेले सूर्य का प्रभाव दशम भाव पर हो तो जातक या जातिका औषधी (दवाई निर्माण, दुकान, ऐजेन्टशिप, वितरक) सोना, चांदी, गिरवी या ब्याज पर लेन-देन आदि कार्यों में धन प्राप्त करता है। उपरोक्त के अलावा लेखक या प्रकाशक भी हो सकता है। 
- गुरु यदि केंद्र ( प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव) या त्रिकोण (पंचम या नवम भाव) में हो तो जातक या जातिका का व्यापार कपास, रेडीमेड वस्त्र, जीनिंग धागा या अन्य वस्त्र उद्योग के क्षेत्रो में अथवा शैक्षणिक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है तथा लखपति बनता है। 
- सूर्य, मंगल यदि केंद्र में हो तो जातक या जातिका को नौकरी करनी पड़ती है, किन्तु भाग्येश शनि होने के कारण वह सदा परेशान बना रहता है। यह तक की शनि यदि केंद्र में हो तो जातक या जातिका को अपमानित होकर नौकरी छोड़नी पड़ती है। 
- यदि चतुर्थ या दशम भाव में चन्द्र हो तो जातक का कार्य, व्यवसाय या नौकरी जल अथवा विद्दुत से सम्बंधित होता है। 
- यदि लगनस्थ गुरु हो व केंद्र में शनि हो तो जातक ज्योतिषी, लेखक, उपदेशक, वकील अर्थात बौद्धिक व्यापार करने वाला होता है।       

























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