वृश्चिक लग्न और व्यवसाय
इस लग्न के जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी सूर्य, आय भाव का स्वामी बुध, धन भाव का स्वामी गुरु और भाग्य भाव का स्वामी चन्द्र होता है। चूँकि सूर्य, चन्द्र और गुरु परस्पर मित्र ग्रह है इसलिये जातक या जातिका किसी भी ग्रह के कारकत्व वाला व्यवसाय करे, उसे देर सवेर सफलता मिल ही जाती है। वैसे इन चारो ग्रहो में से जो ग्रह दशम भाव में हो या यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो, जिस ग्रह की दृष्टि दशम भाव या भावेश पर हो या इन चारो में से जो ग्रह सर्वाधिक अंशो में हो उस ग्रह से सम्बंधित व्यवसाय अपनाने पर जातक या जातिका को अच्छा लाभ और ख्याति प्राप्त हो सकती है। इन सब के अलावा यदि
- दशम भाव या भावेश पर मंगल, गुरु और सूर्य का प्रभाव हो तो जातक या जातिका राजकीय या प्रशासनिक पद को सुशोभित करता है। अकेले सूर्य का प्रभाव होने पर जातक या जातिका राजकीय नौकरी त्याग कर स्वयं अपना कार्य या व्यवसाय करता है। प्रायः सर्राफा, फाइनेंस, शेयर, स्टील उद्योग, औषधी उद्योग आदि से सम्बंधित होता है। यद्यपि ऐसा जातक या जातिका प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है
- सूर्य चतुर्थ या दशम भाव में हो तो जातक या जातिका अल्प प्रयत्न से ही अधिक लाभ प्राप्त करता है।
- सूर्य और मंगल दोनों का ही प्रभाव यदि दशम भाव पर हो तो जातक या जातिका शासन के किसी उच्च प्रशासनिक पद पर रहते हुए उत्तम धन, वाहन एवं ख्याति भोगता है और ग्रहो की अनुकूलता होने पर वह राज्य या राष्ट्र का नीति निर्धारक तक बन सकता है। उसके विचारों और क्रियाकलापों को राजनैतिक एवं प्रशासनिक मान्यता प्राप्त होती है। प्रायः ऐसे लोग मंत्रियो के पर्सनल सेक्रेटरी, अनुवादक, सलाहकार आदि पदों पर रहते है।
- यदि शनि और बुध का प्रभाव दशम या एकादश भाव पर हो तो जातक या जातिका वकील, सलाहकार, गुप्तचर विभाग, जज या इसी के समकक्ष स्तर के कार्य करता है। किन्तु उसके प्रत्येक कार्य जोखिम भरे और रूकावट व कष्टो से संपन्न होते है।
- यदि शुक्र का प्रभाव दशम भाव या सूर्य पर हो तो जातक या जातिका सर्राफा, रत्न, आभूषण, दवाइयाँ तथा औषधि रसों का या इनके समकक्ष व्यापार करता है।
- सूर्य या दशम भाव पर बुध तथा मंगल का प्रभाव हो तो जातक या जातिका लेखक, प्रकाशक, अन्वेषक, अनुवादक, अनुसन्धानकर्ता या किसी न किसी प्रकार के संचार माध्यम से जुड़कर धन और ख्याति प्राप्त करता है।
- जन्मपत्रिका में सूर्य की अपेक्षा शुक्र शक्तिशाली होकर दशम भाव को प्रभावित करे अथवा सूर्य नीच या शत्रु राशि में हो तथा शुक्र सप्तम भाव में हो तो जातक या जातिका स्त्रियों के लिए आवश्यक पदार्थों यथा सौन्दर्य प्रसाधन, वस्त्राभूषण, उनके उपयोग में आने वाली औषधियों का व्यापार,फोटोग्राफी, स्पोर्ट्स, गारमेंट्स यानि सिले सिलाए कपड़ो का व्यापार, खेल-खिलौने का व्यापार या मनोरंजन से सम्बंधित वस्तुओं का व्यापार या खुशबू से रिलेटेड वस्तुओं का व्यापार आदि करता है।
इस लग्न के जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी सूर्य, आय भाव का स्वामी बुध, धन भाव का स्वामी गुरु और भाग्य भाव का स्वामी चन्द्र होता है। चूँकि सूर्य, चन्द्र और गुरु परस्पर मित्र ग्रह है इसलिये जातक या जातिका किसी भी ग्रह के कारकत्व वाला व्यवसाय करे, उसे देर सवेर सफलता मिल ही जाती है। वैसे इन चारो ग्रहो में से जो ग्रह दशम भाव में हो या यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो, जिस ग्रह की दृष्टि दशम भाव या भावेश पर हो या इन चारो में से जो ग्रह सर्वाधिक अंशो में हो उस ग्रह से सम्बंधित व्यवसाय अपनाने पर जातक या जातिका को अच्छा लाभ और ख्याति प्राप्त हो सकती है। इन सब के अलावा यदि
- दशम भाव या भावेश पर मंगल, गुरु और सूर्य का प्रभाव हो तो जातक या जातिका राजकीय या प्रशासनिक पद को सुशोभित करता है। अकेले सूर्य का प्रभाव होने पर जातक या जातिका राजकीय नौकरी त्याग कर स्वयं अपना कार्य या व्यवसाय करता है। प्रायः सर्राफा, फाइनेंस, शेयर, स्टील उद्योग, औषधी उद्योग आदि से सम्बंधित होता है। यद्यपि ऐसा जातक या जातिका प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है
- सूर्य चतुर्थ या दशम भाव में हो तो जातक या जातिका अल्प प्रयत्न से ही अधिक लाभ प्राप्त करता है।
- सूर्य और मंगल दोनों का ही प्रभाव यदि दशम भाव पर हो तो जातक या जातिका शासन के किसी उच्च प्रशासनिक पद पर रहते हुए उत्तम धन, वाहन एवं ख्याति भोगता है और ग्रहो की अनुकूलता होने पर वह राज्य या राष्ट्र का नीति निर्धारक तक बन सकता है। उसके विचारों और क्रियाकलापों को राजनैतिक एवं प्रशासनिक मान्यता प्राप्त होती है। प्रायः ऐसे लोग मंत्रियो के पर्सनल सेक्रेटरी, अनुवादक, सलाहकार आदि पदों पर रहते है।
- यदि शनि और बुध का प्रभाव दशम या एकादश भाव पर हो तो जातक या जातिका वकील, सलाहकार, गुप्तचर विभाग, जज या इसी के समकक्ष स्तर के कार्य करता है। किन्तु उसके प्रत्येक कार्य जोखिम भरे और रूकावट व कष्टो से संपन्न होते है।
- यदि शुक्र का प्रभाव दशम भाव या सूर्य पर हो तो जातक या जातिका सर्राफा, रत्न, आभूषण, दवाइयाँ तथा औषधि रसों का या इनके समकक्ष व्यापार करता है।
- सूर्य या दशम भाव पर बुध तथा मंगल का प्रभाव हो तो जातक या जातिका लेखक, प्रकाशक, अन्वेषक, अनुवादक, अनुसन्धानकर्ता या किसी न किसी प्रकार के संचार माध्यम से जुड़कर धन और ख्याति प्राप्त करता है।
- जन्मपत्रिका में सूर्य की अपेक्षा शुक्र शक्तिशाली होकर दशम भाव को प्रभावित करे अथवा सूर्य नीच या शत्रु राशि में हो तथा शुक्र सप्तम भाव में हो तो जातक या जातिका स्त्रियों के लिए आवश्यक पदार्थों यथा सौन्दर्य प्रसाधन, वस्त्राभूषण, उनके उपयोग में आने वाली औषधियों का व्यापार,फोटोग्राफी, स्पोर्ट्स, गारमेंट्स यानि सिले सिलाए कपड़ो का व्यापार, खेल-खिलौने का व्यापार या मनोरंजन से सम्बंधित वस्तुओं का व्यापार या खुशबू से रिलेटेड वस्तुओं का व्यापार आदि करता है।
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