धनु लग्न और व्यवसाय :- धनु लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी बुध, धन भाव का स्वामी शनि और आय या लाभ भाव का स्वामी शुक्र होता है। जबकि भाग्येश सूर्य होता है। व्यवसाय की दृष्टि से इस लग्न का जातक बहुत भाग्यशाली होते है। क्योकि कार्येश, धनेश और आयेश या लाभेश तीनो ही मित्र ग्रह होते है। साथ ही भाग्येश सूर्य शत्रु होते हुए भी शुभ फल ही प्रदान करता है, क्योंकि वह शक्तिशाली नवम त्रिकोण स्थान का स्वामी होता है। अतः यदि
- बुध, शुक्र या शनि में से जो ग्रह उच्च राशि, स्वराशि या मित्र राशि में हो, उससे सम्बंधित व्यवसाय करे तो जातक को खूब धन व ख्याति प्राप्त होती है।
- शनि की युति या दृष्टि द्वितीय, दशम, एकादश भाव या दशमेश पर हो तो जातक को काले रंग के पदार्थ, रेलवे, भूमि, लोहा, तेल या अन्य तैलिये पदार्थ, रोड़ी, बजरी, क्रेशर, सीमेंट आदि अर्थात शनि से सम्बंधित व्यवसाव करने पर या सिविल इंजीनयर का काम करे पर अधिक लाभ होता है।
- शुक्र की युति या दृष्टि द्वितीय, दशम, एकादश भाव या दशमेश पर हो तो जातक को होटल, ऐशोआराम प्राप्त कराने वाली सामग्री यथा फर्नीचर, पलंग, गद्दी, सोफ़ा, टीवी, फ्रिज, कूलर, ऐसी, वाहन आदि या कलात्मक सामग्री यथा फिल्म, फोटोग्राफी, पेंटिंग, वाद्य यंत्र, आदि या फलों का काम या फलो के जूस का काम या स्पोट्र्स का काम या खेल-खिलौने का काम, श्रृंगार प्रसाधन की वस्तुओ का काम, खुशबू से सम्बंधित वस्तुओँ का काम या सिले-सिलाए वस्त्रों का काम या लेडी गारमेंट्स का काम या मिटटी से सम्बंधित काम आदि करने पर जातक को विशेष लाभ व आय होती है।
- यदि प्रथम या चतुर्थ भाव में गुरु हो तो जातक समाज में सम्मानित शिक्षक, प्रोफेसर, जननेता, पुजारी या प्रवचनकर्ता होता है। धन की अपेक्षा उसे समाज में सम्मान अधिक मिलता है। साथ ही आदर्श स्थापित करने वाला होता है, ऐसे जातक के व्यक्तित्व में चुंबकीय आकर्षण होता है, जिसके कारण जन समाज जातक की और आकर्षित होता है, इसकी बात सुनता है और इसका अनुसरण करता है।
- यदि बुध के दृष्टि दशम भाव पर हो तो जातक निश्चित तोर पर पक्का व्यापारी होता है। प्रायः बुध से सम्बंधित व्यवसाय यथा लेखन, प्रकाशन, पत्रकारिता, संपादक, समाचार पत्र, दूर संचार या संचार माध्यम, साहित्य जगत या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि से सम्बंधित व्यवसाय करता है और आय कमाता है।
- यदि चन्द्र का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो जातक विद्युत, दूध डायरी, वस्त्र उद्योग या शुक्र से सम्बंधित व्यवसायों में संघर्ष करता है।
- बुध, शुक्र या शनि में से जो ग्रह उच्च राशि, स्वराशि या मित्र राशि में हो, उससे सम्बंधित व्यवसाय करे तो जातक को खूब धन व ख्याति प्राप्त होती है।
- शनि की युति या दृष्टि द्वितीय, दशम, एकादश भाव या दशमेश पर हो तो जातक को काले रंग के पदार्थ, रेलवे, भूमि, लोहा, तेल या अन्य तैलिये पदार्थ, रोड़ी, बजरी, क्रेशर, सीमेंट आदि अर्थात शनि से सम्बंधित व्यवसाव करने पर या सिविल इंजीनयर का काम करे पर अधिक लाभ होता है।
- शुक्र की युति या दृष्टि द्वितीय, दशम, एकादश भाव या दशमेश पर हो तो जातक को होटल, ऐशोआराम प्राप्त कराने वाली सामग्री यथा फर्नीचर, पलंग, गद्दी, सोफ़ा, टीवी, फ्रिज, कूलर, ऐसी, वाहन आदि या कलात्मक सामग्री यथा फिल्म, फोटोग्राफी, पेंटिंग, वाद्य यंत्र, आदि या फलों का काम या फलो के जूस का काम या स्पोट्र्स का काम या खेल-खिलौने का काम, श्रृंगार प्रसाधन की वस्तुओ का काम, खुशबू से सम्बंधित वस्तुओँ का काम या सिले-सिलाए वस्त्रों का काम या लेडी गारमेंट्स का काम या मिटटी से सम्बंधित काम आदि करने पर जातक को विशेष लाभ व आय होती है।
- यदि प्रथम या चतुर्थ भाव में गुरु हो तो जातक समाज में सम्मानित शिक्षक, प्रोफेसर, जननेता, पुजारी या प्रवचनकर्ता होता है। धन की अपेक्षा उसे समाज में सम्मान अधिक मिलता है। साथ ही आदर्श स्थापित करने वाला होता है, ऐसे जातक के व्यक्तित्व में चुंबकीय आकर्षण होता है, जिसके कारण जन समाज जातक की और आकर्षित होता है, इसकी बात सुनता है और इसका अनुसरण करता है।
- यदि बुध के दृष्टि दशम भाव पर हो तो जातक निश्चित तोर पर पक्का व्यापारी होता है। प्रायः बुध से सम्बंधित व्यवसाय यथा लेखन, प्रकाशन, पत्रकारिता, संपादक, समाचार पत्र, दूर संचार या संचार माध्यम, साहित्य जगत या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि से सम्बंधित व्यवसाय करता है और आय कमाता है।
- यदि चन्द्र का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो जातक विद्युत, दूध डायरी, वस्त्र उद्योग या शुक्र से सम्बंधित व्यवसायों में संघर्ष करता है।
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