कर्क लग्न और व्यवसाय
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी मंगल, आय भाव का स्वामी शुक्र, धन भाव का स्वामी सूर्य तथा भाग्य भाव का स्वामी गुरु होता है। चूँकि सूर्य, मंगल, गुरु मित्रवत होते है। अतः इनमे से जो ग्रह शक्तिशाली होता है, उससे सम्बंधित जातक या जातिका का व्यवसाय होता है। शुक्र धन प्राप्त करवाता है, अतः उसके प्रभाव को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है। यदि -
- मंगल यदि तृतीय, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो तो जातक या जातिका प्रशासनिक क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। यदि इस मंगल के साथ गुरु, चन्द्र या सूर्य का प्रभाव भी दशम भाव पर हो तो जातक या जातिका जीवनपर्यन्त प्रगति करता रहता है।
- मंगल का प्रभाव दशम भाव पर न हो किन्तु सूर्य, गुरु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका सरकारी क्षेत्र में नौकरी करता है।
- दशम भाव पर शनि, राहु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका अल्पतम वेतन या अत्यधिक जोखिम व परेशानियों वाली नौकरी करता है। इसके अलावा यदि वह खनिज, मिटटी या ऐसे व्यवसाय जिसमे आग, भट्टी का प्रयोग हो तो उसे अच्छा धन लाभ प्राप्त हो सकता है। प्रायः जंगल खाता शिकार या वनोपज सम्बन्धी नौकरी करते जातक या जातिका को देखा जा सकता है।
- यदि दशम भाव पर सूर्य, शनि व राहु का प्रभाव हो और लग्नेश चन्द्र शत्रु राशि में या नीच राशि में हो तो जातक या जातिका के नौकरी दासत्व युक्त होती है तथा व्यवसाय भी गोला-बारूद, चमड़ा, मांस, हड्डियों या इसी प्रकार का अन्य होता है। ऐसे जातक को आयुध निर्माण, गोला-बारूद या विद्युत उपकरण आदि से अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। अन्य व्यवसायों में सफलता संदिग्ध रहती है।
- चन्द्र यदि मेष, कर्क, तुला या मकर राशि में हो तो जातक या जातिका को किसी भी क्षेत्र में एजेंट्सशिप या चलित व्यवसाय करना पड़ता है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति एक स्थान पर अधिक समय टिक नहीं पाता। प्रायः इन्हे स्त्रियों की सहायता से जल्दी सफलता प्राप्त होती है।
- गुरु यदि लग्न, नवम, दशम अथवा एकादश भाव में हो तो जातक या जातिका को शिक्षावृति या इसी क्षेत्र में व्यवसाय करने पर उत्तम लाभ होता है।
- यदि तृतीय भाव में सूर्य और बुध हो तो जातक या जातिका ख्याति प्रपात व्यक्ति होता है। यह ख्याति प्रायः उसे खेल या राजनीती से प्राप्त होती है। व्यवसाय की दृष्टि से वर्कशॉप, खेल सामग्री या धार्मिक पुस्तकों के क्रय-विक्रय से लाभ होता है।
- शनि का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो रेलवे, डाक-तार या वनकर्मी या जंगल खाते आदि में नौकरी करनी पड़ती है। ऐसे व्यक्ति को प्रायः दासवृति वाला कार्य भी करना पड़ता है।
इस लग्न की जन्मपत्रिका में कार्य भाव का स्वामी मंगल, आय भाव का स्वामी शुक्र, धन भाव का स्वामी सूर्य तथा भाग्य भाव का स्वामी गुरु होता है। चूँकि सूर्य, मंगल, गुरु मित्रवत होते है। अतः इनमे से जो ग्रह शक्तिशाली होता है, उससे सम्बंधित जातक या जातिका का व्यवसाय होता है। शुक्र धन प्राप्त करवाता है, अतः उसके प्रभाव को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है। यदि -
- मंगल यदि तृतीय, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो तो जातक या जातिका प्रशासनिक क्षेत्र में उच्चाधिकार प्राप्त करता है। यदि इस मंगल के साथ गुरु, चन्द्र या सूर्य का प्रभाव भी दशम भाव पर हो तो जातक या जातिका जीवनपर्यन्त प्रगति करता रहता है।
- मंगल का प्रभाव दशम भाव पर न हो किन्तु सूर्य, गुरु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका सरकारी क्षेत्र में नौकरी करता है।
- दशम भाव पर शनि, राहु का प्रभाव हो तो जातक या जातिका अल्पतम वेतन या अत्यधिक जोखिम व परेशानियों वाली नौकरी करता है। इसके अलावा यदि वह खनिज, मिटटी या ऐसे व्यवसाय जिसमे आग, भट्टी का प्रयोग हो तो उसे अच्छा धन लाभ प्राप्त हो सकता है। प्रायः जंगल खाता शिकार या वनोपज सम्बन्धी नौकरी करते जातक या जातिका को देखा जा सकता है।
- यदि दशम भाव पर सूर्य, शनि व राहु का प्रभाव हो और लग्नेश चन्द्र शत्रु राशि में या नीच राशि में हो तो जातक या जातिका के नौकरी दासत्व युक्त होती है तथा व्यवसाय भी गोला-बारूद, चमड़ा, मांस, हड्डियों या इसी प्रकार का अन्य होता है। ऐसे जातक को आयुध निर्माण, गोला-बारूद या विद्युत उपकरण आदि से अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। अन्य व्यवसायों में सफलता संदिग्ध रहती है।
- चन्द्र यदि मेष, कर्क, तुला या मकर राशि में हो तो जातक या जातिका को किसी भी क्षेत्र में एजेंट्सशिप या चलित व्यवसाय करना पड़ता है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति एक स्थान पर अधिक समय टिक नहीं पाता। प्रायः इन्हे स्त्रियों की सहायता से जल्दी सफलता प्राप्त होती है।
- गुरु यदि लग्न, नवम, दशम अथवा एकादश भाव में हो तो जातक या जातिका को शिक्षावृति या इसी क्षेत्र में व्यवसाय करने पर उत्तम लाभ होता है।
- यदि तृतीय भाव में सूर्य और बुध हो तो जातक या जातिका ख्याति प्रपात व्यक्ति होता है। यह ख्याति प्रायः उसे खेल या राजनीती से प्राप्त होती है। व्यवसाय की दृष्टि से वर्कशॉप, खेल सामग्री या धार्मिक पुस्तकों के क्रय-विक्रय से लाभ होता है।
- शनि का प्रभाव दशम भाव या दशमेश पर हो तो रेलवे, डाक-तार या वनकर्मी या जंगल खाते आदि में नौकरी करनी पड़ती है। ऐसे व्यक्ति को प्रायः दासवृति वाला कार्य भी करना पड़ता है।
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